प्रकाशक यशपाल जैन मंत्री, सस्ता साहित्य मंडल एन-७७, कनॉट सर्कस, नई दिल्ली-११०००१ ● पांचवी बार : १९९९ प्रतियां : ३,००० मूल्य : रु० ८.०० ● लेजर टाइपसेटिंग बुकमैन लेज़र टाइपसेटिंग, दिल्ली-९२ ● मुद्रक आई.बी.एच, प्रिन्टर्स, मानसरोवर पार्क, शाहदरा
पाठकों से
जैसाकि नाम से पता चलता है, इस पुस्तक में हमने संसार के विशष लेखकों की चुनी हुई कहानियां दी हैं। ये कहानियां ऐसी नहीं हैं कि एक बार पढ़कर पुस्तक को पटक दें। ये कहानियां बार-बार पढ़ने योग्य हैं। इन्हें पढ़ने में जहां आनंद आता है, वहां जीवन की बहुत-सी आवश्यक बातों के संबंध में सोचने का अवसर भी मिलता है। प्राय: सभी कहानियों के पीछे कोई-न-कोई ऊचां उद्देश्य है। विश्व के महान लेखक टाल्स्टाय, गोर्की, स्टीफन ज्विग, खलील जिब्रान, चेखोव आदि-आदि ने, जिनकी रचनाएं पाठक इस पुस्तक में पढ़ेंगे, केवल लिखने के लिए कहानियां नहीं लिखीं उनके पास मानव-जाति को देने के लिए संदेश था, इसीलिए उन्होंने कहानियों की रचना की है। हम आशा करते हैं कि सभी पाठक, विशेषकर हमारी नई पीढ़ी, इन कहानियों को अवश्य पढ़ेगी और अपने जीवन को ढालने में इनसे प्रेरणा लेगी।
-सम्पादक
अनुक्रम □
लियो टाल्स्टाय कितनी जमीन?
खलील जिब्रान तूफान
स्टीफन ज्विग धरती की ममता
मैक्सिम गोर्की कोलूशा
याशिकी हायामा एक थैला सीमेंट
अन्तोन चेखव गिरगिट
लू सुन वह अभागा!
योंग-सू ओ प्रवासी चिड़िया
अलेक्सान्द्र पुश्किन ताबूतसाज
वाशिंगटन इर्विंग दु:ख का वह जीवित स्मारक
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कितनी जमीन ? □ लियो टाल्स्टाय
(विद्वान लेखक की इस कहानी से महात्मा गांधी बहुत प्रभावित हुए थे। उन्होंने इसका अनुवाद गुजराती में किया था और इसकी बहुत-सी प्रतियां पाठकों में वितरित कराई थीं। गांधीजी के अपरिग्रह सिद्धान्त का इस कहानी में बड़े मार्मिक ढंग प्रतिपादन हुआ है। यहां हम हिन्दी के यशस्वी लेखक श्री जैनेन्द्र कुमारजी द्वारा किया हुआ भावानुवाद दे रहे हैं। इसमें उन्होंने पात्रों के नाम बदल दिये हैं और रुसी की जगह रंग भी भारतीय कर